बस्ती।यूँ तो यज्ञ अपने आप में ही एक पर्यावरण शोधक व जनकल्याणकारी होता है पर जब पर्वों पर विधि विधान से वैदिक मंत्रों और ऋतुअनुकूल औषधियों युक्त सामग्री द्वारा यज्ञ किया जाता है तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है और उसका प्रभाव भी अत्यंत शुभफलदायी सिद्ध होता है। आज आर्य समाज नई बाजार बस्ती में सूर्यषष्ठी के अवसर पर आचार्य देवव्रत आर्य ने यज्ञ कराते हुए ये बातें आमजनमानस को बताईं। उन्होंने कहा कि सूर्यषष्ठी का महापर्व हमें सूर्योपासना का संदेश देता है।
वैदिक सन्ध्योपासना में भी सूर्य आत्मा जगतः अर्थात सूर्य ही संसार की आत्मा है ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि सूर्य की उपस्थिति में रोगों का प्रभाव कम ही नहीं होता बल्कि सौर-चिकित्सा पद्धति से अनेक रोगों को ठीक किया जा रहा है। सौर ऊर्जा के उपयोग से आज पूरा संसार लाभ उठा रहा है। विटामिन डी की कमी केवल सूर्य के धूप में बैठने मात्र से ही दूर हो जाती है। इसके साथ हमारे खेतों व जंगलों में उत्पन्न फसलों व वनस्पतियों के विकास में भी सूर्य की उपयोगिता सभी स्वीकार करते हैं। आज पूरे विश्व में किसी न किसी रूप में सूर्य की उपासना की जाती है। इस अवसर पर राधेश्याम आर्य ने सुन्दर भजन प्रस्तुत कर लोगों को यज्ञ कर सूर्योपासना का संदेश दिया साथ ही गणेश आर्य, उपेन्द्र आर्य,नितेश कुमार व अनूप कुमार त्रिपाठी, राधा देवी, वैष्णवी, कार्तिक, परी सहित अनेक लोगों ने लोककल्याण के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हुए आहुतियां समर्पित कीं।