बस्ती।आर्य समाज देश विदेशों में वेदप्रचारक व एकेश्वरवादी संस्था के रूप में विख्यात है। इसके सारे सिद्धांत व कार्य वैदिक संस्कृति से ही निकले हैं। यह संस्था समाज में ऋषियों के बताए सोलह संस्कारों की परम्परा का विस्तार करना चाहती है। इसके लिए जिले में संस्कार शिविरों के माध्यम से आमजनमानस को जागरूक करेगा आर्य समाज। यह जानकारी आर्य समाज नई बाजार बस्ती के प्रधान ओम प्रकाश आर्य ने 49वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर कार्यक्रम का संचालन दी। इस अवसर पर आचार्य शुचिषद मुनि के सानिध्य में सामवेदीय यज्ञ सम्पन्न किया गया जिसमें अलखनिरंजन आर्य, दिलीप कसौधन, श्रीवास्तव व गिरिजाशंकर द्विवेदी सपरिवार मुख्य यजमान रहे। यज्ञ के वैज्ञानिक लाभ बताते हुए आचार्य ने बताया कि मनुष्य को चाहिए कि वह कर्म करते हुए सौ वर्षों तक जीने की इच्छा करे। इसके अनुसार प्रत्येक परोपकार का कर्म यज्ञ है। यज्ञ में बोले जाने वाले मंत्रों के प्रभाव से हमारे शरीर व मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है साथ ही औषधियों के जलने से उसके सूक्ष्म तत्व सांसों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुचकर चिकित्सा करते हैं। यह यज्ञ ही सभी दुखों को सहने व दूर करने की शक्ति प्रदान करता है।
भजनोपदेश के क्रम में पंडित भानु प्रकाश आर्य ने बताया कि यज्ञ-योग व ध्यान से शरीर और आत्मा दोनो बलवान होता है जिससे जीवन संयमित होकर देवत्व को प्राप्त करता है। ईश्वर के वैदिक स्वरूप पर बोलते हुए पण्डित भानु प्रकाश आर्य ने कहा कि मनुष्य अपने उत्तम कर्मों से भगवान बन सकता है पर ईश्वर नहीं। भगवान पूरी सृष्टि का स्वामी नहीं हो सकता पर ईश्वर पर ईश्वर पूरी सृष्टि का स्वामी है, भगवान एकदेशीय है जबकि ईश्वर सर्वव्यापक है। इसलिए भगवान बनकर ईश्वर को प्राप्त करने का यत्न करते रहना चाहिए। पंडित नरेन्द्र दत्त व पंडित राममगन आर्य ने अपने भजनोपदेश के माध्यम से समाज मे व्याप्त कुरीतियों पर चोट करते हुए लोगों से इससे बचने की प्रेरणा दी। भजनोपदेशकद्वय ने जागरूकता गीत प्रस्तुत कर लोगों को वेदपथ चलने का आह्वान किया। इस अवसर पर दिनेश आर्य प्रशिक्षक आर्य वीर दल दिल्ली प्रदेश ने शौर्य गीत प्रस्तुत कर लोगों में धर्म पर अडिग रहते हुए उसकी रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहने के लिए प्रेरित किया।
सायंकालीन सभा में बोलते हुए शुचिषद मुनि ने कहा कि पूरी दुनिया में वैदिक संस्कृति ही शांति ला सकती है पर अज्ञानता वश वह वैदिकधर्मियों को ही समाप्त करने में लगा हुआ है। अहिंसा की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि मन वाणी व कर्म से सबके साथ हितकारी व्यवहार करना अहिंसा है। उसके साथ हितकारी व्यवहार में वह व्यक्ति दुखी भी हो रहा है तो कोई दोष नहीं। जैसे शिक्षक, वैद्य व न्यायाधीश व्यक्ति के हित के लिए उसे दुख या दण्ड देता है तो उसे अहिंसा की श्रेणी में रखा जाता है। आज वैदिक रक्षा के लिए हमें उद्यत रहना होगा भले ही लोगों को इससे लोगों को परेशानी हो। हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बनाये रखने के लिए दृढ़ता पूर्वक कार्य करना होगा तभी हम अपनी संस्कृति को सुरक्षित रख पाएंगे।
कार्यक्रम संयोजक आदित्यनारायण गिरी ने बताया कि 11 दिसम्बर को दिन में 2 बजे से आर्य वीर वीरांगनाओं का शौर्य प्रदर्शन होगा। इसके लिए उन्होंने आमजनमानस को कार्यक्रम में आने का आह्वान किया।कार्यक्रम में देवव्रत आर्य,अरविंद साहू, सुनीता देवी, घनश्याम आर्य, रोहित आर्य, पवन कुमार, चन्दन कुमार, संतोष आर्य, विकास बरनवाल, आयुष श्रीवास्तव, अरविन्द श्रीवास्तव, प्रमोद कुमार, राधेश्याम आर्य, उपेन्द्र आर्य, शुभम आर्य, राम प्रसाद, सुमन आर्य, द्रौपदी आर्य, सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।