बस्ती।आर्य वीर हमेशा राष्ट्रपोषक होता उसका जीवन राष्ट्र के लिए ही समर्पित होता ही है साथ ही वह अपने पुरूषार्थ से देश का अभाव, अन्याय और अंधकार को दूर करता है। उक्त बातें ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने सिटी मांटेसरी स्कूल बस्ती में आयोजित आर्य वीर दल बस्ती के चरित्र निर्माण शिविर के के बौद्धिक सत्र में कही। भक्ष्याभक्ष्य पर बोलते हुए उन्होने कहा कि शाकाहारी व्यक्ति पूरा जीवन शाकाहारी रह सकता है पर मांसाहारी व्यक्ति बिना शाकाहार के मांसाहार भी नहीं कर सकता। शाकाहार सात्विक विचार को जन्म देता है जबकि मांसाहार से दुर्विचार आतें हैं।
इसी कड़ी में प्रशिक्षक विनय आर्य ने कहा कि आर्य संस्कृति का मूल वेद है, इसलिए इसे वैदिक संस्कृति भी कह सकते है। यह वैदिक संस्कृति ही सबसें प्रथम और सबके लिए वरण करने योग्य है। उन्होने सात्विक भोजन, संयम, प्राणायाम, प्रातःजागरण, सत्संग, स्वध्याय, प्रसन्नता एवं जप को बुद्धि विकास का साधन बताया। इससे पूर्व यज्ञ कराते हुए देवव्रत आर्य ने ईश्वर स्तुति, प्रार्थना व उपासना के बारे में बच्चों को बताया तथा यज्ञ को ही जीवन का आधार बताते हुए कहा कि यज्ञ से सभी उत्तम फल प्राप्त होते हैं। प्रशिक्षक मनीष आर्य ने बच्चों को वैदिक गणित के सूत्र बताते हुए कठिन से कठिन गणना भी आसानी से करने की जानकारी दी।
यज्ञ के पश्चात वेद कुमार आर्य ने बच्चों को बताया कि उन्हे यह बात अपने मन में पूरी मरह से बिठा लेनी चाहिए कि उनका जन्म जीतने और सफल होने के लिए ही हुआ है इसलिए मन को सदगुणों से भरते रहना चाहिए। कार्यक्रम में शारीररिक व्यायाम के क्रम में आर्य वीरों को आत्मारक्षा के लिए जूडो, लाठी, दण्ड एवं बैठकों का प्रशिक्षण दिया गया साथ ही परिामिड व स्तूप निर्माण के साथ साथ शीर्षसन, हलासन, मकरासन, भुजंगासन, वज्रासन, सुप्तबज्रासन, दण्डासन, शलभासन, वक्रासन,मयूरासन का विधिवत अभ्यास कराते हुए प्रशिक्षक विनय आर्य व आर्येन्द्र ने अपने देश के विकास एवं रक्षा के लिए इसका प्रयोग करने का संकल्प दिलाया।
द्वितीय बौद्धिक सत्र में आचार्य देवव्रत आर्य ने बच्चों को बताया कि अपने जीवन को उन्नत बनाने के लिए शारीरिक, आत्मिक एवं सामाजिक रूप से सबल होना चाहिए और यह सबलता इस प्रकार के शिविरों से ही मिल सकती है।उन्होंने बच्चों को बताया कि वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण एक गम्भीर समस्या है और उसका निदान वृक्षारोपड़ एवं गौपालन ही है जिसके माध्यम से हमें शुद्ध प्राणवायु व विषमुक्त आहार मिल सकता है।