- पीएम मोदी की जनसभा कवरेज में प्रेस पास जारी न किए जाने का मामला
- जिला निर्वाचन अधिकारी को दिए स्पष्टीकरण में सहायक सूचना निदेशक ने पत्रकार के चरित्र पर की टिप्पणी
- पास न जारी किए जाने को लेकर बीजेपी पदाधिकारियों पर भी फोड़ा था ठीकरा
बस्ती। जिले के सहायक सूचना निदेशक प्रभाकर तिवारी की मुश्किलें बढ़ने वालीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होने जिला निर्वाचन अधिकारी को दिए स्पष्टीकरण में शिकायतकर्ता पत्रकार के चरित्र पर लिखित में टिप्पणी की है। पीड़ित पत्रकार राज प्रकाश का मानना है कि, बिना सबूत व बिना साक्ष्य के की गई टिप्पणी में अब वे बुरी तरह फंस गए हैं।
दरअसल मामला यह है कि 27 फरवरी को जिले के पॉलिटेक्निक में पीएम मोदी की जनसभा आयोजित थी। सूचना कार्यालय की ओर से प्रेस पास जारी किया जा रहा था। कार्यक्रम कवरेज के लिए जब प्रेस पास लेने पत्रकार राज प्रकाश सूचना कार्यालय गए, तो सहायक सूचना निदेशक ने उन्हें व अन्य पत्रकारों को पास देने से इनकार कर दिया। जब उन्होने कहा कि इसकी शिकायत वे उच्चाधिकारियों से करेंगे, तो सहायक सूचना निदेशक ने कहा कर दीजिए। जिसपर पत्रकारों ने जिला निर्वाचन अधिकारी को दो बार ज्ञापन देकर सहायक सूचना निदेशक पर कार्रवाई की मांग की। इधर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भी प्रकरण से अवगत कराया गया। जब उपर से जांच आई, तो जिला निर्वाचन अधिकारी ने सहायक सूचना निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा। स्पष्टीकरण मांगे जाने से नाराज सहायक सूचना निदेशक ने बिना साक्ष्य व बिना सबूत के पत्रकार के चरित्र पर ही टिप्पणी कर दी।
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बीजेपी पदाधिकारियों पर भी फोड़ा था ठीकरा!
अपना बचाव करते हुए सहायक सूचना निदेशक ने उच्चाधिकारियों को भी लपेटे में ले लिया। इतना ही नहीं बीजेपी पदाधिकारियों पर भी ठीकरा फोड़ दिया। उन्होने जिला निर्वाचन अधिकारी को दिए स्पष्टीकरण में लिखा है कि उच्चाधिकारियों के आदेश एवं पार्टी पदाधिकारियों के सुझाव को ध्यान में रखते हुए साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज पोर्टलों को प्रेस पास नहीं जारी किया गया।
सहायक सूचना निदेशक को प्रस्तुत करना होगा साक्ष्य!
पत्रकार राज प्रकाश का कहना है कि, सहायक सूचना निदेशक ने जिला निर्वाचन अधिकारी को दिए स्पष्टीकरण में लिखा है कि अपने कार्य व आचरण के चलते ये हिंदी दैनिक अमर उजाला से निकाले गए है। ऐसे में पत्रकार राज प्रकाश ने कहा कि अब सहायक सूचना निदेशक को इसके लिए साक्ष्य प्रस्तुत करना होगा। इतना ही नहीं साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज पोर्टल को पास नहीं जारी किए जाने संबंधी अब उन्हें शासनदेश भी दिखाना होगा। साथ ही न्यूज पोर्टल रजिस्ट्रेशन से संबंधी अभिलेख भी उन्हें प्रस्तुत करने होंगे।