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फर्रुखाबाद मामला : 15 साल की बच्ची ने कैसे बचाई 23 बच्चों की जान?

यूपी का फर्रुखाबाद. यहां जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर एक गांव है. करथिया. 30 जनवरी, गुरुवार को ये गांव चर्चा में आया. इस दिन गांव के 23 बच्चों को सुभाष बाथम नाम के आदमी ने बंधक बना लिया. इनमें छह महीने से लेकर 15 साल तक बच्चे शामिल थे. करीब नौ घंटे बाद पुलिस ने ऑपरेशन चलाकर बच्चों को छुड़ाया. सुभाष बाथम ऑपरेशन में मारा गया. इसमें भीड़ का ‘फैसला ऑन द स्पॉट’ वाला रूप भी सामने आया. सुभाष की पत्नी रूबी को गांव की भीड़ ने पीट दिया. वो बुरी तरह घायल हो गई और बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई. इस घटना के दौरान सुभाष ने फायरिंग और बमबाजी भी की, जिसके बाद भारी मात्रा में पुलिस आई.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुभाष की पत्नी बच्चों के रोने पर उन्हें चुप करा रही थी और सुभाष को भी समझा रही थी. आरोप है कि जब भीड़ उसकी पत्नी को पीट रही थी, तब पुलिस मौजूद थी. सुभाष ने अपनी बच्ची के बर्थडे पर बच्चों को बुलाकर उन्हें बंधक बनाया. अब उसकी बच्ची अनाथ हो गई है. पुलिस ने उसे एक एनजीओ को सौंप दिया है.
पुलिस ने कहा- क्रॉस फायरिंग में सुभाष मारा गया
एक पुलिस अधिकारी ने बताया,
सुभाष और उसकी पत्नी रूबी पुलिस को देख सामने वाला गेट खोलकर बाहर भागने लगे थे. इस दौरान गांववालों ने सुभाष और रूबी को पकड़कर पीटना शुरू कर दिया. पुलिस ने दोनों को भीड़ से छुड़ाया. सुभाष इस दौरान फिर से घर की तरफ भागा और उसने अंदर मौजूद पुलिस टीम पर फायर कर दिया. क्रॉस फायरिंग में सुभाष की मौत हो गई. उधर, सुभाष की पत्नी रूबी घर के बाहर ही रह गई थी. भीड़ ने उसकी पिटाई की, जिसकी वजह से वह बुरी तरह से घायल हो गई. उसे एम्बुलेंस से अस्पताल भेजा गया, जहां उसकी मौत हो गई.
बच्चे, बेसमेंट और डरावनी रात
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बंधक बनाए गए बच्चों में सबसे ज़्यादा उम्र की 15 साल की एक बच्ची ने बताया,
दोपहर 2.15 बजे जब हम सुभाष के घर पहुंचे, उसने हमें बिस्किट और चॉकलेट दिए. जब हम बैठे तो उसने हमें बेसमेंट में जाने के लिए मजबूर किया. उसने धमकी दी कि अगर हमने मना किया तो वो हमें गोली मार देगा. मुझे कुछ देर में समझ में आ गया कि हम खतरनाक स्थिति में फंस चुके हैं.
उसने बताया,
बेसमेंट में बच्चे रोने लगे. मैंने उन्हें चुप कराया और बताया कि हम जल्द ही बाहर निकलेंगे. मैंने कहा कि अगर हम मरे तो साथ मरेंगे. मुझे नहीं पता था कि इससे कुछ मदद मिलेगी लेकिन मैंने ऐसा किया. कुछ घंटों बाद उन्हें भूख लगी . मैंने सुभाष से कहा. बाद में एक छेद से पुलिस ने बिस्किल के पैकेट दिए.’ लड़की ने बताया कि नौ महीने का एक बच्चा रो रहा था इसलिए सुभाष से उसे छोड़ने की अपील की. सुभाष ये बात मान गया. बाद में पुलिस ने भी ऐसी ही अपील की.
बच्ची कहती है,
सुभाष गुस्से में था. जब वो और उसकी पत्नी बेसमेंट से गए मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया. उसने दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ सुन ली और दरवाज़ा पीटने लगा. मैंने दरवाज़ा नहीं खोला. बच्चे रो रहे थे लेकिन मैं जानती थी कि अगर मैंने दरवाज़ा खोला तो वो मुझे मार डालेगा. मैंने दरवाज़ा तब खोला जब पुलिस अंदर घुस गई.
सुभाष बाथम
आरोप है कि सुभाष ने पुलिस को पत्र लिखकर बताया था कि वो लंबे वक्त से सरकारी योजना के तहत घर और टॉयलेट की मांग कर रहा था जिस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. माना जा रहा है कि इसी बात से आहत होकर उसने बच्चों को बंधक बनाया. सुभाष के ख़िलाफ़ चार केस दर्ज हैं, जिसमें एक हत्या का मामला भी है. इस मामले में वो जेल में था लेकिन हाईकोर्ट से उसे जमानत मिली थी. आरोप ये भी है कि उसने हत्या के मामले में खु़द को फंसाने के शक में पुलिस और गांववालों से बदला लेने के लिए ये सब किया.