- Home
- World
- India
- Politics
- States+
- Andaman and Nicobar Islands
- Andhra Pradesh
- Arunachal Pradesh
- Assam
- Bihar
- Chandigarh
- Chhattisgarh
- Dadra and Nagar Haveli and Daman and Diu
- Delhi
- Goa
- Gujarat
- Haryana
- Himachal Pradesh
- Jammu and Kashmir
- Jharkhand
- Karnataka
- Kerala
- Ladakh
- Lakshadweep
- Madhya Pradesh
- Maharashtra
- Manipur
- Meghalaya
- Mizoram
- Nagaland
- Odisha
- Puducherry
- Punjab
- Rajasthan
- Sikkim
- Tamil Nadu
- Telangana
- Tripura
- Uttar Pradesh
- Uttarakhand
- West Bengal
- Districts+
- Agra
- Aligarh
- Ambedkar Nagar
- Amethi
- Amroha
- Auraiya
- Ayodhya
- Azamgarh
- Badaun
- Bahraich
- Ballia
- Balrampur
- Banda District
- Barabanki
- Bareilly
- Basti
- Bijnor
- Bulandshahr
- Chandauli(Varanasi Dehat)
- Chitrakoot
- Deoria
- Etah
- Etawah
- Farrukhabad
- Fatehpur
- Firozabad
- Gautam Buddha Nagar
- Ghaziabad
- Ghazipur
- Gonda
- Gorakhpur
- Hamirpur
- Hapur District
- Hardoi
- Hathras
- Jaunpur District
- Jhansi
- Kannauj
- Kanpur Dehat
- Kanpur Nagar
- Kasganj
- Kaushambi
- Kushinagar
- Lakhimpur Kheri
- Lalitpur
- Lucknow
- Maharajganj
- Mahoba
- Mainpuri
- Mathura
- Mau
- Meerut
- Mirzapur
- Moradabad
- Muzaffarnagar
- Pilibhit
- Pratapgarh
- Prayagraj
- Rae Bareli
- Rampur
- Saharanpur
- Sambhal
- Sant Kabir Nagar
- Sant Ravidas Nagar
- Shahjahanpur
- Shamli
- Shravasti
- Siddharthnagar
- Sitapur
- Sonbhadra
- Sultanpur
- Unnao
- Varanasi (Kashi)
- Sports
- Business
- Video
- Entertainment
- Crime
- Spacial
Farmer Protest: किसान आंदोलन में एक और सुसाइड, दोपहर को दिल्ली कूच का भाषण दिया, शाम को जान दे दी

फिरोजपुर के बाबा नसीब सिंह दिसंबर में खुद को गोली मारकर जान देने वाले बाबा राम सिंह को अपना प्रेरणास्रोत मानते थे, लोगों को किसान आंदोलन को लेकर जागरुक करते रहते थे. (फोटो-जगदीप सिंह)
किसान आंदोलन से जुड़ी एक और मौत का मामला सामने आया है. इस बार दिल्ली नहीं बल्कि पंजाब में एक किसान ने आत्महत्या कर ली है. बाबा नसीब सिंह मान की आत्महत्या की ये घटना पंजाब के जिला फ़िरोजपुर के गांव मेहमा में हुई. इसके पीछे भी किसान आंदोलन और सरकार के बीच की खींचतान को वजह बताया जा रहा है.
आजतक संवाददाता जगदीप सिंह के अनुसार, बाबा नसीब सिंह ने दिल्ली में 26 जनवरी को आंदोलन की तैयारी को लेकर सोमवार 11 जनवरी को मीटिंग की थी. इस बैठक में उन्होंने लोगों को कुर्बानी के लिए तैयार रहने को कहा था. इसके बाद सोमवार शाम को बाबा नसीब सिंह ने खुद को गोली मार ली. उनकी मौत हो गई. उन्होंने अपने लाइसेंसी हथियार से खुद को गोली मारी.
नसीब सिंह मान से मिले सुसाइड नोट में लिखा था कि ये कदम वह केंद्र सरकार की तरफ से किसान कानून वापस ना लेने के चलते उठा रहे हैं. उन्होंने आगे लिखा-
शांतिपूर्ण प्रदर्शन में सरकार को जगाने के लिए कुर्बानी दी जा रही है. बाबा राम सिंह की कुर्बानी जाया न जाए, यह सिलसिला जारी रहेगा.
बाबा नसीब सिंह मान ने जान देने के पीछे के कारणों का खुलासा अपने सुसाइड नोट में किया. (फोटो-जगदीप सिंह)
दिसंबर में बाबा रामसिंह ने दी थी जान
इससे पहले भी बाबा नसीब सिंह गांव में हुई कई बैठकों में लोगों से 26 जनवरी को डटे रहने और दिल्ली चलने के लिए तैयार रहने की अपील करते रहते थे. वह बाबा राम सिंह को अपनी प्रेरणा बताते हुए कहते थे कि उनका बलिदान खाली नहीं जाएगा. बता दें कि किसानों के आंदोलन के दौरान 16 दिसंबर को संत बाबा राम सिंह ने आत्महत्या कर ली थी. उन्होंने भी खुद को गोली मारी थी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी. यह घटना करनाल में बॉर्डर के पास हुई थी. कहा गया कि संत बाबा राम सिंह भी किसानों के प्रति सरकार के रवैये से आहत थे. संत बाबा राम सिंह के पास जो सुसाइड नोट मिला था, उसमें लिखा था कि वह किसानों की हालत देख नहीं पा रहे हैं. बाबा काफी दिनों तक दिल्ली की सीमा पर हो रहे आंदोलन में भी शामिल रहे थे.
सिंघु बॉर्डर पर एक और ने जहर पिया
फिरोजपुर में बाबा नसीब सिंह ने किसानों के लिए अपनी जान दे दी, वहीं दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर सोमवार शाम को एक और किसान ने जहर पीकर आत्महत्या की कोशिश की. किसान को फौरन सोनीपत के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है. इनका नाम लाभ सिंह है. उम्र करीब 49 साल है. वह पंजाब के सरथला जिले के रहने वाले हैं. शनिवार को भी सिंघु बॉर्डर पर एक किसान ने जहर खा लिया था. बाद में इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया था.
दिल्ली के बॉर्डर पर हजारों किसान 47 दिनों से डटे हुए हैं. सरकार से तीनों किसान कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के बॉर्डर पर ठंड और लगातार मर रहे किसानों पर चिंता जताई थी. अदालत ने मौजूदा हालात देखते हुए सरकार को नए कृषि कानूनों को कुछ समय के लिए ठंडे बस्ते में डालने का सुझाव दिया था. कोर्ट ने किसी पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अध्यक्षता में कमेटी बनाने की बात कही थी. उसकी रिपोर्ट आने तक किसान कानूनों पर अमल न करने को कहा था. लेकिन बाद में किसानों ने कमिटी के सामने अपना पक्ष रखने से इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार पहले इन कानूनों को वापस ले.
[ बस्ती ख़बर की विशेष संक्षिप्त खबरों के लिए Twitter पर जुड़ें, और फॉलो करें। ]