ऐश्प्रा ज्वैलर्स पूर्वाञ्चल के लगभग सभी बड़े अखबारों का लाखों रुपयों के विज्ञापनों का प्रमुख विज्ञापनदाता रहा है। स्थानीय बड़े अखबारों में ऐश्प्रा ज्वैलर्स शोरूम बस्ती की दुकान में ग्राहक के घटतौली की शिकायत की कोई खबर बड़े अखबारों में नही छपी।
बस्ती। गोरखपुर के प्रसिद्ध हीरे और सोने के आभूषणों के व्यापारी “ऐश्प्रा ज्वैलर्स” ब्रांड के बस्ती जिले में खुले स्टोर-शोरूम में एक ग्राहक द्वारा आभूषणों में घटतौली करने की शिकायत करने का मामला बीते शनिवार को सामने आया।
इस गंभीर घटना की पड़ताल करने पर पता चलता है कि बस्ती शहर के बीचोबीच एक सर्राफा व्यवसायी के शोरूम में घटतौली का मामला सामने आता है। और शिकायतकर्ता बकायदे लिखित तहरीर देकर सर्राफा व्यवसायी की गिरफ्तारी की मांग करता है, लेकिन इस मामले की खबर किसी भी बड़े अखबारों में दिखाई नही देती है। काफी खोजबीन पर पता चलता है कि, जिस घटतौली में स्वर्ण व्यवसायी ब्रांड अथवा शोरूम का नाम आया है वह पूर्वाञ्चल का लगभग सभी बड़े अखबारों का प्रमुख विज्ञापनदाता है। जिससे कहीं न कहीं आम लोगों में यह चर्चा का विषय है कि विज्ञापन के बल पर जनहित की किसी भी खबर का गला घोंटा जा सकता है।



बस्ती शहर के बीच गांधीनगर में स्थिर ऐश्प्रा ज्वैलर्स नाम के शोरूम में शनिवार को सेवानिवृत्त फौजी गंगा यादव अपनी पत्नी के कुछ आभूषणों को खरीदने आए थे। खरीददारी के दौरान यादव ने कम सोना तौलने का आरोप लगाया और जब शोरूम के जिम्मेदार इस बात को मनाने से इन्कार करने लगे तो यादव ने मामले की शिकायत एसडीएम सदर से कर दी। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर बाँट-माप अधिकारी भी पहुंच गए।
सेवानिवृत्त फौजी गंगा यादव ने बताया कि वे आभूषण खरीदकर अपना बिल भी कटवा चुके थे। लेकिन आभूषण लेने से पहले उन्होने एक बार उसका इलेक्ट्रोनिक भार तौल मशीन में चेक कर लिया। जब उन्हें खरीदे गए आभूषणों का बिल दिया गया तो बिल में अंकित भार और चेक किए आभूषणों का इलेक्ट्रोनिक भार तौल मशीन के भार से भिन्न पाया गया। इसकी शिकायत उन्होने ऐश्प्रा ज्वैलर्स शोरूम में उपस्थित जिम्मेदारों से की लेकिन किसी ने संतोषपूर्ण जवाब नही दिया। आभूषणों के कम तौल की कोई जवाबदेही न मिलने पर यादव ने एसडीएम सदर पवन जायसवाल से तुरंत मामले की शिकायत की। और कुछ ही देर में ऐश्प्रा ज्वैलर्स शोरूम में मौके पर जिला बांटमाप अधिकारी एके सिंह भी पहुंच गए। जिला बांटमाप अधिकारी ने आभूषणों की तौल अपने सामने कराई तो चाँदी का तौल कम पाया गया। कम तौल के नतीजे को देखकर उन्होने तौल कांटे को सील कर दिया।
आभूषणों के इस घटतौली मामले पर जिला बांटमाप अधिकारी एके सिंह बताते हैं कि, “शनिवार को घटतौली की शिकायत मिलने पर ऐश्प्रा ज्वैलर्स शोरूम के तौल का निरीक्षण किया गया, जांच में चांदी की तौल कम पाई गई, और तौल कांटे को सील कर दिया गया है”। उन्होने कहा कि शोरूम के मालिक को नोटिस भेजने की तैयारी चल रही है। और जुर्माने की धनराशि का आंकलन कर चालान किया जाएगा।
स्थानीय मीडिया समाचारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार, बस्ती जिले के सर्राफा व्यवसायी संगठन के लोगों ने इस घटतौली मामले में ऐश्प्रा ज्वैलर्स शोरूम के लोगों का बचाव करते हुए कहा है कि, चांदी के व्यापार में कभी-कभी हवा के दबाव, बिजली के झटके भी इलेक्ट्रोनिक कांटे को प्रभावित करते हैं, जो चांदी आधे ग्राम और सोने में 20 मिली ग्राम से अधिक नही होता है। इसे बांटमाप कंपनियाँ भी स्वीकार करते हैं, और यह भारतीय सर्राफा नियमों के अधीन हैं। इसे किसी बेईमानी, ठगी की श्रेणी में नही माना जाता है, ऐसी स्थितियों में कभी-कभी उपभोक्ताओं तो कभी व्यापारियों को हानि-लाभ का सामना करना पड़ता है, जो वर्तमान में लगभग 30 रुपये हो सकता है।”
देख जाए तो हमारे देश की आधे से अधिक आबादी ग्रामीण है। और आभूषण महिलाओं की प्रिय वस्तु तो है ही साथ उसके उपयोग में भी महिलाएं सबसे आगे हैं। लगभग प्रत्येक भारतीय महिला, बेटियाँ, बहनें आभूषणों का शौक रखती हैं। जब हमारे किसी ग्रामीण क्षेत्र की महिला किसी सर्राफा व्यापारी के यहां आभूषण लेने पहुँचती है तो यह जरूरी नही है की उनके पास आभूषणों के पैसे आसानी से आ गए हों। अपनी बेटियों, बहुओं को सामाजिक रीति-रिवाजों की समानताओं में लाने के लिए उसे अपनी मेहनत की कमाई करके, खेती-बाड़ी में पैदा हुए अन्न बेचकर या कभी-कभी अचल सम्पत्तियों को भी बेंच कर आभूषणों को खरीदने की विवशता देखी गई है। ऐसे में किसी भी सर्राफा व्यापारी के यहां रत्ती भर के कम-ज्यादा तौल पर असर उन माँ, बेटियों और बहनों पर ज्यादा पड़ते हैं जिनके सामने आभूषण न खरीद पाने की स्थिति में बेबस होकर शादी-विवाह की जरूरतों को पूरी करने के लिए अपनी संपत्ति तक बेंचनी पड़ती है।
13 नवंबर 2020 को द इकोनोमिक टाइम्स में प्रकाशित खबरों की माने तो, एक्सपर्ट्स ग्राहकों को यह सुझाव देते हैं कि, देश में अक्षय तृतीया, धनतेरस और दिवाली के आसपास सोने के आभूषण खरीदने की परंपरा रही है। अक्सर इस बात पर हम घंटों खर्च करते हैं कि किस स्थानीय ज्वेलर के पास सबसे अच्छे डिजाइन के गहने मिलेंगे। लेकिन, कीमतों पर सवाल नहीं करते हैं। यह सरासर गलत है।
आपको ज्वेलर्स की ओर से लगाए गए दामों का आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। कारण है कि ऐसी कई बातें हैं जिनसे अंतिम राशि पर असर पड़ता है। इनमें सोने की कीमत, मेकिंग चार्ज, रत्नों का मूल्य इत्यादि शामिल हैं। मेकिंग चार्ज को ‘वेस्टेज’ भी कहा जाता है। यह ज्वेलरी पर 3 फीसदी की दर से जीएसटी लगने से पहले अंतिम लागत में जोड़ा जाता है। याद रखें कि ज्वेलर मेकिंग चार्ज के भीतर वेस्टेज शामिल कर सकते हैं या उसके लिए अलग से चार्ज कर सकते हैं।