बस्ती। आज पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गई है जिसके कारण लोग घर से बाहर निकलने में भी भयभीत हो रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए यज्ञ एक बेहतर उपाय है। जिससे वायु और जल दोनों की शुद्धि होती है। उक्त बातें राजा बाज़ार बस्ती में आयोजित वैदिक यज्ञ के अवसर पर उपस्थित जितेन्द्र आर्य कोषाध्यक्ष आर्य वीर दल दिल्ली प्रदेश ने कही। उन्होंने जिले के आर्य वीर दल प्रभरियों को अपने चरित्र निर्माण शिविरों में यज्ञ की महत्ता को आमजनमानस के समक्ष मजबूती से रखने का निर्देश दिया।
इस अवसर पर ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने दिल्ली जैसे महानगरों में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी वैदिक संस्कृति में पंच महायज्ञों को मानव जीवन की उन्नति का महास्रोत बताया गया है। इन यज्ञों में ब्रह्मयज्ञ करने से विद्या, शिक्षा, धर्म व सभ्यता आदि शुभ गुणों की वृद्धि होती है।
देव यज्ञ से वायु, वृष्टि-जल की शुद्धि होकर वर्षा द्वारा संसार को सुख प्राप्त होता है अर्थात समाज को शुद्ध वायु व जल प्राप्त होने से आरोग्य, बुद्धि, बल पराक्रम बढ़कर धर्म अर्थ काम और मोक्ष का अनुष्ठान पूरा होता है।
पितृ यज्ञ के माध्यम से जब माता-पिता और ज्ञानी महात्माओं की सेवा की जाती है तब व्यक्ति का ज्ञान विज्ञान बढ़ता है। उससे सत्य और असत्य का निर्णय कर सत्य का ग्रहण और असत्य का त्याग करके सुखी होता है।
बलिवैश्वदेव यज्ञ के द्वारा चींटी, चिड़िया, कुत्ता, गाय, अनाथ, विकलांग और विधवाओं को भोजन दिया जाता है जिससे भीतर पूरी सृष्टि के प्रति आदर व कर्तव्य भाव जागृत होता है।
अतिथि यज्ञ के द्वारा घर पधारे अतिथि विद्वानों सन्यासियों का आदर सत्कार किया जाता है जिससे अपने बुजुर्गों के लिए सम्मान व समर्पण का भाव बना रहता है। यज्ञ में बोले गए वेद मंत्र चित्त पर पड़े जन्म जन्मांतर के अशुद्ध संस्कारों को शुद्ध करते हैं।
मंत्रों में निहित अर्थों और भावों के द्वारा आचार विचार में पवित्रता का संचार होता है इस प्रकार भौतिक, मानसिक एवं सामाजिक शुद्धि का सर्वोत्तम साधन यज्ञ है। इस अवसर पर अलख निरंजन आर्य, गरुण ध्वज पाण्डेय, देवव्रत आर्य आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।